हार और जीत हार है अमावस की काली रात तो , जीत पूर्णमासी का निखरा चाँद । हार है अलसायी रात तो, जीत स्फूर्त नव प्रभात । हार है अनचाहा ख्वाब तो , जीत एक हसीं सौगात । हार है कैकयी तो , जीत राम का वनवास । हार है शूल तो , जीत पुष्प का उल्लास । हार है विवशता तो , जीत मृदु अहसास । हार है प्रलय तो , जीत नवनिर्माण की बिसात । हार बनती रही हो भले कभी , जीत का आधार पर । हार है मातम तो , जीत जश्न की परिणाम । हार है रावण का विनाश तो , जीत विजया दशमी का राम ॥ #हारऔरजीत