मेरे भी कुछ अरमान थे, हौंसलों से उड़ने के कुछ सजाए मैंने भी ख्वाब थे , पर कुछ हालात ने तो कुछ मेरी जिंदगी में अंधेरा भर दिया भाई आपने | हाँ ! मेरी हर "आशा का अंत " कर दिया आपने || 😓😓 पढ़ने की थी जिज्ञासा मुझमें , ये आप - बीती मैंने बताई थी , जब किया ' पढ़ने से ना ' आपने खुद को "शुक्रिया" ना संभाल पाई थी , किश्ती पड़ी थी मझदार में मेरी क्यों ना किनारा दिया आपने | हाँ , मेरी हर " आशा का अंत " कर दिया आपने || अभी कोई तगाफुल नहीं हुआ , अन्याय से घिरी मैं न्याय चाहती हूँ , चेहरे पर तेजस्वि रख फूलों की सुगंध - सी महकना चाहती हूँ, हां मैं पढ़ना चाहती हूँ📖 , पर कर इनकार भविष्य मेरा पायमाल किया आपने | हाँ , मेरी हर " आशा का अंत " कर दिया आपने || हाँ , मेरी हर " आशा का अंत " किया आपने || Sk पूरे अल्फाज़! #आशाकाअंत by Sukriya Kirodiwal #poem #sadpoem #ambition #sk #sukriyakirodiwal #Study madhvi ❣️