"आरियाँ चल रही हैं रोटी पे
आरियाँ चल रही हैं बच्चों की नींदों में
आरियाँ चल रही है धरती के बछड़े पर
शिकारी ले जाता है रोहूँ का मध्य भाग
छोड़ जाता है
घास- फूस, पत्ता
बकरियाँ-भेड़ चरेंगी
बनेगा
उनके स्तनों में गुनगुना दूध
एकाद दिन
जब हम सो रहे होते हैं रात में
तब पेड़ पुकारते हैं हमें
नहीं होंगे पेड़
तब चीखेंगे हम
हम किसे पुकारेंगे ...
डॉ .आशासिंह सिकरवार
#NojotoQuote"