तुम्हारे प्यार के गुमनाम शहर में मैं खुद को खोती जा रही हुँ जितना तुम मे खोती जा रही हुँ मैं उतना तुम्हारे होती जा रही हुँ , एक नयी दुनिया हैं आश्चर्य से भरी जिस मै तुम मुझे लेकर चल रहे हो हर तरफ जिधर भी देखु मैं हैरान सी होती जा रही हुँ , एक सपना है जो हकीक़त बन के चल रहा है . या फिर मैं सुनहरे सपनो मैं खोती जा रही हुँ जितना मैं तुम्हारी होती जा रही हुँ मैं खुद से बिछड़ के तुम घुलती जा रही हुँ , तुम्हारे प्यार के इस गुमनाम शहर में तुम मुझ मैं ओर मैं तुम मैं खोते जा रहे हैं .!नीर ..