थोड़ी सी मैं अलबेली थी तन्हाई मेरी सहेली थी जग मे शायद मैं अकेली थी मन मे भी कई पहेली थी बिजली सी गम को झेला था कर्मो का पापड़ बेला था दुःख का तो समझो रेला था मन में भी तीव्र झमेला था। मेहनत ने मुझे धकेला था। जहां लगा खुशी का मेला था। मैंने दुख पीछे ठेला था। आनंद से कुछ क्षण खेला था। संघर्ष का फल भी मिला मुझे। अब गम से ना था गिला मुझे। संघर्ष के फल से सजी थी थाली। चहु ओर जीत की बजी थी ताली मैं उस बागान की बनी थी मालिन। जहां बिछी थी गुलशन की कालीन भोजन से भरा पतीला मिला। और स्वाद बड़ा रसीला मिला। #Main_अकेली #myvoice #हैप्पीनेस #sad #पोएट्री #quotes #music #peace रोहित तिवारी ।