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ठन गई मौत से ठन गई जुझने का मेरा इरादा न था मो

ठन गई 
मौत से ठन गई 
जुझने का  मेरा इरादा न था 
मोड.  फिर मिलेगें इसका  वादा  न था 
रास्ता  रोक कर वह खडी. है 
यो लगा जिन्दगी से बडी. हो गई 
मौत की  उमर क्या है? दो पल भी नहीं 
जिन्दगी सिलसिला आज कल की नहीं 
मैं जी भर जिया मैं मन सें मँरु 
लौटकर आऊँगा 
कुच से क्यों  डरु
तू दबे पाँव चोरी  छिपे से न आ 
सामने वार कर फिर मुझे आजमा. My favorite poem #atalbiharivajpayee
ठन गई 
मौत से ठन गई 
जुझने का  मेरा इरादा न था 
मोड.  फिर मिलेगें इसका  वादा  न था 
रास्ता  रोक कर वह खडी. है 
यो लगा जिन्दगी से बडी. हो गई 
मौत की  उमर क्या है? दो पल भी नहीं 
जिन्दगी सिलसिला आज कल की नहीं 
मैं जी भर जिया मैं मन सें मँरु 
लौटकर आऊँगा 
कुच से क्यों  डरु
तू दबे पाँव चोरी  छिपे से न आ 
सामने वार कर फिर मुझे आजमा. My favorite poem #atalbiharivajpayee

My favorite poem #AtalBihariVajpayee