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अभी बसा नहीं था चमन कि वो महकने आ गए, मंज़िल के कर

अभी बसा नहीं था चमन कि वो महकने आ गए,
मंज़िल के करीब पहुंचे तो वो साथ चलने आ गए।
खूब निभाया है मेरे अपनों ने अपने-पन का फ़र्ज़,
गैरों ने जख्म दिए और वो नमक छिड़कने आ गए।
✍️"हुड्डन"🙏 #अपनापन
अभी बसा नहीं था चमन कि वो महकने आ गए,
मंज़िल के करीब पहुंचे तो वो साथ चलने आ गए।
खूब निभाया है मेरे अपनों ने अपने-पन का फ़र्ज़,
गैरों ने जख्म दिए और वो नमक छिड़कने आ गए।
✍️"हुड्डन"🙏 #अपनापन