यहां आया था पढ़ने शहर में, मैं तो कुछ और ही कमाल कर बैठा। उसने सही से मुझे देखा भी नहीं और मैं था कि इजहार कर बैठा। बोलता था कभी कि मैं तो बहुत सख्त हूं, देखो मैं पिघल गया और प्यार कर बैठा। ---कुमार आदित्य...