कभी प्रेम की अनुभूति सी, कभी दु:ख भरे से राग हैं। कहीं तन में है अनुराग सा, कहीं मन में बस बैराग है।। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #बैराग_अनुराग #ऋतुराज_पपनै_क्षितिज