एक नारी वो सारे जज्बातों को समेटे हुए, किसी अंधेरें मे घिरी है, वो नारी ही है, जो बिना किसी शिकवा के तुम्हारी कमी को पूरा करती हैं, इस समाज में, उसे कोई दर्जा प्राप्त नहीं किया बस मन बहलाने के लिए, गृहलक्ष्मी हैं,वो आसमां को छूने की इच्छा रखने वाली, एक स्त्री हैं... कभी किसी पुरूषों से बात करने पे, वहीं गृहलक्ष्मी चरित्रहीन बना दिया जाती हैं कभी उसकी कमी बताकर उस के मायके वालों पर, कीचड़ उछाली जाती हैं, कभी गहनों से लादकर, उसे इच्छाओं को दबा दिया जाता है कभी मर्यादाओं का पाठ पढाकर चारदीवारियों मे समेट दी जाती हैं...... ©Diksha Kumari #NaariDiwas #Inpendence