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आंखें मेरी ढूंढती है बैवजह तुझे, तुझे देख कर एक अ

आंखें मेरी ढूंढती है बैवजह तुझे,
 तुझे देख कर एक अजीब सा सुकून मिलता है,
 ना मिले तो जैसे दरिया में पानी कम सा लगता है,
 बैवजह ही सही पर मिलना जरूरी लगता है।।।।
आंखें मेरी ढूंढती है बैवजह तुझे,
 तुझे देख कर एक अजीब सा सुकून मिलता है,
 ना मिले तो जैसे दरिया में पानी कम सा लगता है,
 बैवजह ही सही पर मिलना जरूरी लगता है।।।।
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Shruti Garg

New Creator