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ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले तपती जमी से त

ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले
तपती जमी से तप रहा मेरा तन
बैचेन है प्यासे हरी हरी मैदान के घांसे
आ आके मेरे सुखे कंठों में शीतल जल दे जा
ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले
त्रस्त उठी है कल कुआं वीरान है पोखर
मूर्छित हो चुकी है बैसाखी फसल
छम छमा जा आके दरार पड़ी खेतों में
ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले।
ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले
तपती जमी से तप रहा मेरा तन
बैचेन है प्यासे हरी हरी मैदान के घांसे
आ आके मेरे सुखे कंठों में शीतल जल दे जा
ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले
त्रस्त उठी है कल कुआं वीरान है पोखर
मूर्छित हो चुकी है बैसाखी फसल
छम छमा जा आके दरार पड़ी खेतों में
ऐ बारिश के बूंदें कुछ मेरा भी सुन ले।