Nojoto #Hindi#inspirational poem # "सूर्य की उदारता "read in कैप्शन हे सूर्य तुम सम कौन दानी, तिस पर भी तुम न हुए अभिमानी, नित चंद्र लेता तेज उधार तुमसे, प्रति अहर प्रकाशित होता संसार तुमसे |
द्वादश कालाएँ राम की तुममें समाईं तव रश्मियों से चारों दिशाएँ नहाई, भ्रमर के गुंजार से खिलते कंवल, डालियों में खिल रहीं कलियाँ नवल |
सर्व दैनिक कार्य में संलग्न होते, कोई पूजा -अर्चना कर अर्घ्य देते, बज रहें हैं शंख धरा होती पुनीत, तरु -कुंजों में पक्षी गाते हैं गीत |
बीतता वासर जो मद्धिम -मद्धिम, ज्यों तव तेज बिखरता धरा पर स्वर्णिम, जगमग -जगमग आँचल सरिता का करता, यह मनोरम दृश्य सबका मन हरता |
सप्त -अश्वों पर सवार तुम चढ़े, बिन रुके, बिन थके काल संग तुम बढ़े, बीतता जाता है पहर दर पहर, स्वागत को तैयार निशि के है अहर |