मैं कल भी इश्क पर लिखता था, मैं आज भी इश्क के बारे में बतलाता हूंँ। कल भी कहानियां तेरी ही थी, आज भी दास्ताँ तेरी ही दोहराता हूंँ। आज से करीब 5 वर्ष पहले हमारी मुलाकात हुई थी। वह वही थी जिन्होंने हमें इश्क से रूबरू करवाया था, वह वही थीं जिनके साथ ना जाने कितने सुख-दुख के पल हम ने बांट दिए। पर आज साथ नहीं है वह हमारे, आज साथ छोड़ दिया है उन्होंने हमारा। पर चाहे वह कल हो या आज, अब भी जब कोई हमसे पूछता है "जनाब इश्क किसे कहते हैं?" तो भले ही आज हमारे इश्क की परिभाषा बदल गयी हो पर आज भी जब हम उसके बारे में बताते हैं ना तो यकीन मानो दास्ताँ उनकी ही बताते हैं। Take a moment to tell if you liked it in the comment section. Do