साँझ एक साँझ कहीं मिल जाओ न तुम कितनी बातें तुम से करनी है मेरे बेचैन दिन और रातों को तुम्हारे आहों से मुलाक़ात करनी है #पारस #बातें #मुलाक़ात #साँझ