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आलिंगन

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झुकी नज़रों से मैं उसकी ओर जा रहा था, उसकी आंखों में देखने की हिम्मत ना थी पर तब भी कछुए की चाल से चलते हुए उस की ओर बढ़ रहा था। मैं जानता था कि वो भी मुझे देख रही है पर शायद वैसे नहीं जैसे मैं उसे देख रहा था।

मेरी झुकी नज़रें अब आहिस्ता आहिस्ता उठने लगी हैं और इसी के साथ अब उसकी नज़रें आहिस्ता आहिस्ता झुकने लगी है। कैसा प्रेम है ये? अंजाना सा, या बेगाना सा, पर प्रेम तो प्रेम होता है, चाहे एकतरफा हो यह दोनों तरफ से।

पता नहीं कैसे वो मेरी कछुए जैसी चाल एकदम से खरगोश की दौड़ में बदल गई थी। मैं उसके सामने खड़ा था, मुझे हवाओं का बहना महसूस हो रहा था, मुझे उसके बालों का समुद्र की लहरों की तरह मचलना महसूस हो रहा था, पर मेरे चारों तरफ क्या हो रहा है इसका मुझे रत्ती भर भी एहसास नहीं था। वह लम्हा थम सा गया था। और उस लम्हें में कैद था, मैं, मेरा इश्क़ और वो।
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झुकी नज़रों से मैं उसकी ओर जा रहा था, उसकी आंखों में देखने की हिम्मत ना थी पर तब भी कछुए की चाल से चलते हुए उस की ओर बढ़ रहा था। मैं जानता था कि वो भी मुझे देख रही है पर शायद वैसे नहीं जैसे मैं उसे देख रहा था।

मेरी झुकी नज़रें अब आहिस्ता आहिस्ता उठने लगी हैं और इसी के साथ अब उसकी नज़रें आहिस्ता आहिस्ता झुकने लगी है। कैसा प्रेम है ये? अंजाना सा, या बेगाना सा, पर प्रेम तो प्रेम होता है, चाहे एकतरफा हो यह दोनों तरफ से।

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आलिंगन झुकी नज़रों से मैं उसकी ओर जा रहा था, उसकी आंखों में देखने की हिम्मत ना थी पर तब भी कछुए की चाल से चलते हुए उस की ओर बढ़ रहा था। मैं जानता था कि वो भी मुझे देख रही है पर शायद वैसे नहीं जैसे मैं उसे देख रहा था। मेरी झुकी नज़रें अब आहिस्ता आहिस्ता उठने लगी हैं और इसी के साथ अब उसकी नज़रें आहिस्ता आहिस्ता झुकने लगी है। कैसा प्रेम है ये? अंजाना सा, या बेगाना सा, पर प्रेम तो प्रेम होता है, चाहे एकतरफा हो यह दोनों तरफ से। पता नहीं कैसे वो मेरी कछुए जैसी चाल एकदम से खरगोश की दौड़ में बदल गई थी। मैं उसके सामने खड़ा था, मुझे हवाओं का बहना महसूस हो रहा था, मुझे उसके बालों का समुद्र की लहरों की तरह मचलना महसूस हो रहा था, पर मेरे चारों तरफ क्या हो रहा है इसका मुझे रत्ती भर भी एहसास नहीं था। वह लम्हा थम सा गया था। और उस लम्हें में कैद था, मैं, मेरा इश्क़ और वो। #yqbaba #Hug #happyhugday