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ख़ुद को ही जब आज़माना आ गया, पीछे - पीछे ये ज़मा


ख़ुद  को ही जब आज़माना आ गया,
पीछे - पीछे ये ज़माना आ गया...
अब नहीं आते हैं आँसू हर घड़ी,
अब हमें ग़म को छुपाना आ गया...

मुश्किलों ने इस क़दर माँझा हमें,
ज़िंदगी से अब निभाना आ गया... 
अब नहीं ख़लती हमें तन्हाइयाँ,
ख़ुद से ही अब दिल लगाना आ गया...

बाग़ में कुछ तितलियों को देख कर,
याद  बचपन का ज़माना आ गया...
हाथ में आयी क़लम ये क्या मेरे,
जैसे कोई इक ख़ज़ाना आ गया... 
***************************************
निहारिका सिंह #nojoto #nojotohindi #kalakaksh #poetry #quotes #love #life #struggle #identity

ख़ुद  को ही जब आज़माना आ गया,
पीछे - पीछे ये ज़माना आ गया...
अब नहीं आते हैं आँसू हर घड़ी,
अब हमें ग़म को छुपाना आ गया...

मुश्किलों ने इस क़दर माँझा हमें,
ज़िंदगी से अब निभाना आ गया... 
अब नहीं ख़लती हमें तन्हाइयाँ,
ख़ुद से ही अब दिल लगाना आ गया...

बाग़ में कुछ तितलियों को देख कर,
याद  बचपन का ज़माना आ गया...
हाथ में आयी क़लम ये क्या मेरे,
जैसे कोई इक ख़ज़ाना आ गया... 
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निहारिका सिंह #nojoto #nojotohindi #kalakaksh #poetry #quotes #love #life #struggle #identity