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वो धतूरा समझ के खेत के अनार बेच डालेगा, रद्दी समझ

वो धतूरा समझ के खेत के अनार बेच डालेगा, 
रद्दी समझ के आज के अख़बार बेच डालेगा !
उलझा के हमें हिन्दू और मुसलमान के बातों में, 
चंद लोगों  के हाथों में रोजगार बेच डालेगा !!_
________________________________________
 स्टेशन बेच रहा है घर भी बेच डालेगा, 
किला बेच डाला है शहर भी बेच डालेगा !
 बनें रहें हम अगर ऐसे हीं धर्म के पुजारी, 
उद्योगपतियों के हाथों में  सरकार बेच डालेगा !!
___________________________________________
हिन्दू बेच डालेगा मुसलमान बेच डालेगा, 
शमशान बेच डालेगा कब्रिस्तान बेच डालेगा !
उसे  बेचने में महारत हासिल है मेरे दोस्त, 
वो एक दिन मेरा हिंदुस्तान बेच डालेगा !!
                    :- संतोष 'साग़र' #निजीकरण 
 Hariom@Kumawat...🖊 आखरी_सफर _writes Vicky Singh Chandrasen Mohammad साकिब عثمانی (ALIG) Khan Matin Nojoto isk
वो धतूरा समझ के खेत के अनार बेच डालेगा, 
रद्दी समझ के आज के अख़बार बेच डालेगा !
उलझा के हमें हिन्दू और मुसलमान के बातों में, 
चंद लोगों  के हाथों में रोजगार बेच डालेगा !!_
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 स्टेशन बेच रहा है घर भी बेच डालेगा, 
किला बेच डाला है शहर भी बेच डालेगा !
 बनें रहें हम अगर ऐसे हीं धर्म के पुजारी, 
उद्योगपतियों के हाथों में  सरकार बेच डालेगा !!
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हिन्दू बेच डालेगा मुसलमान बेच डालेगा, 
शमशान बेच डालेगा कब्रिस्तान बेच डालेगा !
उसे  बेचने में महारत हासिल है मेरे दोस्त, 
वो एक दिन मेरा हिंदुस्तान बेच डालेगा !!
                    :- संतोष 'साग़र' #निजीकरण 
 Hariom@Kumawat...🖊 आखरी_सफर _writes Vicky Singh Chandrasen Mohammad साकिब عثمانی (ALIG) Khan Matin Nojoto isk

@Vicky Singh Chandrasen Mohammad साकिब عثمانی (ALIG) @Khan Matin isk">#निजीकरण Hariom@Kumawat...🖊 आखरी_सफर _writes Vicky Singh Chandrasen Mohammad साकिब عثمانی (ALIG) Khan Matin isk #विचार