मापनी - २१२२-२१२२-२१२ यूं हकीकत से जो मिलना हो गया ख्वाबों से जैसे गुजारा हो गया।।१ एक मुद्दत से अकेले जी रहा तू मिली तो फिर से अच्छा हो गया।।२ औढ़े है सर पर तिरंगे का कफ़न देश हित में फ़ौजी कुर्बां हो गया।।३ उस पिता का हाल कैसे मै लिखूं पुत्र विरह में जिसका मरना हो गया।।४ तूने जो बोसा लिया होठों का फिर इश्क में अब ‘जय'फना सा हो गया।।५ मेरी कलम✍️✍️ ©jai_writes_ #jawans_martyred #fauji #kiss #yourquote #yqbaba