समेट ले फिर से अपनी बाहों मे मैं बिखरा पड़ा हु फिर से उन्ही राहो मे ✍अजय पटीर✍ समेट ले फिर से सिर्फ बस एक बार अपनी बाहों मे मैं बिखरा पड़ी हु फिर से उन्ही राहो मे ✍ तेरे नाम ✍