जब फूलों सी नाजुक ज़िन्दगी में काँच सी ख़्वाहिशों के शीशमहल पर दर्द ए सितम की आँधी एक बड़े नाकामी की तूफां रूपी हकीक़त छन से टूटकर बिखरा देती है न, यकीं मानों उन अधूरी ख़्वाहिशों के टूटे काँच के टुकड़े एक चुभन भरी याद के ज़ख़्म बनकर इस दिल में ताउम्र हरे रहकर इस दिल में नये ख़्वाब को बुनने की हमें इज़ाज़त तो देते हैं, मगर हम ज़िन्दगी की नाकामी की हकीक़त से इतना डर जाते हैं नये ख़्वाब को इस दिल में लाने से भी कतराते हैं, ♥️ Challenge-947 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।