ख़ुद यूं बंट गया हूँ... ख़ुद का ही हिस्सा नही हूँ मैं । मुझे यूं भूलते हो क्यूं..? कोई किस्सा नही हूँ मैं । ये माना तेरा लाभ... अब शायद नही हूँ मैं । मैं इंसां हूँ, हो जैसे तुम... तुम्हारे खेत का बिस्सा नहीं हूं मैं। -//--//--शिवम "मुसाफ़िर" #life #जीवन