हमें चलने का भी हुनर नहीं; समन्दर की गोद मयस्सर हो गई।। यूँ तो मैं दिखता हूँ संजीदा ही; पर बेखबर हूँ तुझे खबर हो गई।। आसमां के दरख़्त से लगता रहा डर मुझे; तू मिली मेरा पर हो गई।। खामोश ही बैठा रहा जिंदगी के कोने में; तूने रुख मोड़ा ये शहर हो गई।। गिरा रखे थे चन्द परदे हमने किरदार के; तूने छुवा जरा सा नजर हो गई।। मुझे लगता था कि मिट जायेगी हस्ती हमारी; तूने कलम को पकड़ा ये अमर हो गई।। वक़्त की खबर ही कहाँ हमें; मेरा तू हर पहर हो गई।। मैं तो बस 'अंश' हूँ जीवन का; मुझे पूरा करने में 'हर' हो गई।। #तितली #titli#Mylove#life#Gajal#nojoto#love