#RIPMilkhaSingh खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है, जमीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है, लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ, जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफ़ान बाकी है… ©Ganesh Koli Hats Off Sir #RIPMilkhaSingh