प्रेम बिन दिल , बोझ लगता हैं नैनो का संगम, रोज़ सजता हैं साथ बिन उसके , मैं आधा हूँ दिन हो या रात , ख्वाब लगता हैं भेजा था दिल , वफ़ा के तौफे में हमने भी दिल दिया , था बदले में दिल की बातें , दिल समझता है प्रेम बिन दिल , बोझ लगता हैं साथ उसने दिया कुछ यु उजालो में हमे तनहा-सा किया हज़ारो में ऐसी क्या हो गयी-खता ये तो बता कहती है मिलते है सितारों में जो किया तुमने क्या उसे माफ़ कर दू पंडितो के हाथों ठाकुरो का नाम बदनाम कर दो ठाकुरो के कुल का वंशज हु मैं धोखा देने वालों का सर्वनाश कर दूं।। एक प्रेमी का अपनी प्रेमिका को अधूरी मोहब्बत का आखरी मुकम्मल ख़त ठाकुर vs पंडित...