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दूध अपनी छाती का पिलाती हूं तब मैं मां कहलाती हूं.

दूध अपनी छाती का पिलाती हूं
तब मैं मां कहलाती हूं...☺

जब भी मंदिर में होती हूं, 
पूजी में जाती हूं...☺

रास्तों पर जब मैं निकलती हूं, 
हवस का बाजार लग जाता है..😢

पल्लू मेरा थोड़ा सा सरकते ही
इंसानी भेष में छिपा,जानवर मुझे नजर आता है...😡

ये जिस्म के भेड़िए भी,कमाल का हुनर रखते हैं🤫

होंठों पर हंसी,तो दिल में हवस रखते हैं🤨
हर गली मोहल्ले में
आंखों से मेरा जिस्म नोच लिया जाता है
कपड़े होते हुए भी, 
मुझे नंगेपन का एहसास होता है...😭😭

ना चाहते हुए भी
हर रोज आंखों से,मेरा बलात्कार होता है...😢

वो दरिंदा ये भूल जाता है कि, 
वो भी रिश्ते में,किसी औरत का
भाई, बेटा,या फिर बाप होता है👌👌
दूध अपनी छाती का पिलाती हूं
तब मैं मां कहलाती हूं...☺

जब भी मंदिर में होती हूं, 
पूजी में जाती हूं...☺

रास्तों पर जब मैं निकलती हूं, 
हवस का बाजार लग जाता है..😢

पल्लू मेरा थोड़ा सा सरकते ही
इंसानी भेष में छिपा,जानवर मुझे नजर आता है...😡

ये जिस्म के भेड़िए भी,कमाल का हुनर रखते हैं🤫

होंठों पर हंसी,तो दिल में हवस रखते हैं🤨
हर गली मोहल्ले में
आंखों से मेरा जिस्म नोच लिया जाता है
कपड़े होते हुए भी, 
मुझे नंगेपन का एहसास होता है...😭😭

ना चाहते हुए भी
हर रोज आंखों से,मेरा बलात्कार होता है...😢

वो दरिंदा ये भूल जाता है कि, 
वो भी रिश्ते में,किसी औरत का
भाई, बेटा,या फिर बाप होता है👌👌