कैसे न आऊं आगोश में, तेरे चेहरे का चाँद जो फैलाता है बांहों को ! अब कैसे जाऊं कहीं कि तेरे बदन की हर एक रुकावट रोके है मेरी राहों को !! मेरी शायरी आपके लिए 🙏