वो हक़ीक़त न सही मग़र कोई ख़्वाब न होती काश चाहत यूँ मुझे उसकी बेहिसाब न होती देख लिया करते हैं आँखों में भी चाहने वाले मोहब्बत किसी इज़हार की मोहताज़ नहीं होती ज़िंदा तो हूँ बस दुनिया को दिखाने को मग़र ज़िंदगी आजकल तुझसे मुलाक़ात नहीं होती दौलत-ए-ग़म दिल की झोली में समेटते रहते हैं सुना है खुशियाँ किसी की ज़ायदाद नहीं होती #थोड़ी_देर 😔😔