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*सँवरना ही है,तो किसी की नज़रों में सँवरीये जनाब,*

*सँवरना ही है,तो किसी की नज़रों में सँवरीये जनाब,*
*काँच के आईने से खुद का मिज़ाज पूछा नहीं करते!*
*सँवरना ही है,तो किसी की नज़रों में सँवरीये जनाब,*
*काँच के आईने से खुद का मिज़ाज पूछा नहीं करते!*
rajj1979699648874

manoj kumar

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