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द्रौपदी चीर-हरण (अवधी लोकगीत भाव) स्वर/लेखक :- कवि

द्रौपदी चीर-हरण (अवधी लोकगीत भाव)
स्वर/लेखक :- कवि राहुल पाल
नोट ..रि-अपलोड 
शब्दार्थ :-
विरन -भाई,प्रिय मित्र
संघाती -साथी ,सखा 
कुरूपति -कौरव दल का अध्यक्ष 
बनल बा -बन बैठा है ,, कधार- कंधा देना

द्रौपदी चीर-हरण (अवधी लोकगीत भाव) स्वर/लेखक :- कवि राहुल पाल नोट ..रि-अपलोड शब्दार्थ :- विरन -भाई,प्रिय मित्र संघाती -साथी ,सखा कुरूपति -कौरव दल का अध्यक्ष बनल बा -बन बैठा है ,, कधार- कंधा देना #कविता #nojotovideo #nojotonews

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