कभी शिव शक्ति ,कभी गणेश मुरारी, कभी सूरज बन चमकते हो।
हे सर्व समर्थ मुझ दिन हीन पे, कृपा क्यूँ नही करते हो।
सुना है तेरा नाम बहुत ,अकारण करुणा करते हो।
क्या चूक हो रही मुझ से अब तक, जो दर्श न अपने देते हो।
माना कि मैं कमजोर बहोत ,पर तुम सर्वशक्तिमान कहलाते हो।
कुछ कृपा दृष्टि मुझ पर भी हो ,जो स्वयं दीनबंधु बतलाते हो।
दुनिया के सब दोष हैं मुझमे, पर तुम ही तो तारणहार बन पाते हो।