खुशियां जमीं पे उतार लाएं।। चलो बादलों से कुछ बूंदें उधार ले आएं। खुशियों को भी जमीं पे उतार लें आएं।। इश्क का रंग गहरा बड़ा, सबने है मला, सिवा मेहबूब औरों को पुकार के आएं। वो कौन है रोता, सर पकड़ कोने में कहीं, मुस्कान उसकी भी चलो सुमार के आएं। दहलीज़ दर्द की लांघी अभी अभी देखो, आओ दर्द के दर प जरा हुंकार के आएं। रेतीली ज़िन्दगी पर बनी लकीरें दर्द की, बन लहर उन्हें चलो अब सुधार के आएं। रही दास्तां अनसुनी जो अबतलक यहां, चलो दे आवाज़ उनको हम गुहार के आएं। बन्द आंसुओं का व्यापार होना चाहिए, सुर्ख लबों पे फिर हंसी की फुहार ले आएं। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote खुशियां जमीं पे उतार लाएं।। चलो बादलों से कुछ बूंदें उधार ले आएं। खुशियों को भी जमीं पे उतार लें आएं।। इश्क का रंग गहरा बड़ा, सबने है मला, सिवा मेहबूब औरों को पुकार के आएं।