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छरहरी काया मेरी जाने कहाँ छूट गई छाने लगा मुझ

छरहरी काया मेरी जाने 

कहाँ छूट गई 

छाने लगा मुझ पे मोटापा 

मेरे राम जी 

मारवाड़ी सेठ जैसा, 

पेट मेरा फूल गया 

कल को पड़े न कहीं छापा 

मेरे राम जी 

रसभरे बैन कहाँ, घर 

में भी चैन कहाँ 

खो न बैठूँ किसी दिन आपा 

मेरे राम जी

©suryachoudhery
छरहरी काया मेरी जाने 

कहाँ छूट गई 

छाने लगा मुझ पे मोटापा 

मेरे राम जी 

मारवाड़ी सेठ जैसा, 

पेट मेरा फूल गया 

कल को पड़े न कहीं छापा 

मेरे राम जी 

रसभरे बैन कहाँ, घर 

में भी चैन कहाँ 

खो न बैठूँ किसी दिन आपा 

मेरे राम जी

©suryachoudhery
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