रो लेती हू अक्सर छुपकर इन रातों में कुछ बात नही कह पाती तुझसे आँखो आँखों में सोचा था खुद को संभाल लूँगी इन हालातो में पर क्या पता था तू साथ भी न देगा इन ख्वाबो में