रातों की तन्हाई ,और ग़मों से ये दिल आबाद है। वो दिन ,वो रात अभी भी याद है । नयनों में अब बेशुमार अश्क हैं ,और ग़मों का तादाद है । रात भर जगे रहते हैं,ये सिलसिला तम्हारे जाने के बाद है। बदन ये मेरा जल रहा है , और जख्मी ये फवाद (हृदय ) है। खुदा से तब भी और आज भी फरियाद है । #अभी भी याद है 2 #nojoto#poetry //diksha// stardust deepshi bhadauria