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रात होते ही फलक में तारो के वीच चाँद मेरी तरह तन्

रात होते ही फलक में तारो के 
वीच चाँद मेरी तरह तन्हा रोता होगा,

तारों की हसीन महफ़िल में
बिचारे चांद को कोन बुलाता होगा,

यह चांद कैसे अपनी ही 
रोशनी से अपने आंसू छुपाता होगा,

यह भी मेरी तरह जागता है रातो को
नजाने किसकी यादों में यह सोता न होगा,

मैं चुपके से निहारती हुँ इसको
यह चाँद शरेआम मेरे चाँद को ताकता होगा,
✍️✍️suman...@
रात होते ही फलक में तारो के 
वीच चाँद मेरी तरह तन्हा रोता होगा,

तारों की हसीन महफ़िल में
बिचारे चांद को कोन बुलाता होगा,

यह चांद कैसे अपनी ही 
रोशनी से अपने आंसू छुपाता होगा,

यह भी मेरी तरह जागता है रातो को
नजाने किसकी यादों में यह सोता न होगा,

मैं चुपके से निहारती हुँ इसको
यह चाँद शरेआम मेरे चाँद को ताकता होगा,
✍️✍️suman...@