"दर्द" क्या है ये दर्द कभी अपनों को खोने का दर्द तंहाँइयों में रोने का दर्द अपनों के दूर होने का दर्द कभी अपनों की बातों का दर्द तो कभी काली रातों का दर्द कभी अपनों को सताने का दर्द तो उनकों रुलाने का दर्द दर्द वो दर्द जो दिखाए नहीं जातें जताए नहीं जातें बस सुनाए जाते हैं अपनी की गई गलती का दर्द अपनों के नज़रअंदाज़ करने का दर्द वक़्त पर अपनो को न पहचानने का दर्द अब क्या-क्या लिखूं दर्द बेचारा दर्द जो हर बार सहता है हमारी ग़लती के वजह से हमसे आपसे ज़्यादा दर्द कोई जब सुनने को तैयार हो तो मरहम सा लगने लगता है ये दर्द जी करता है तब सुनाता जाऊँ बताता जाऊँ अपना दर्द अपनों को भुलाने का दर्द अपनों के भूल जाने का दर्द अपनों को मनाने का दर्द अपनों से रूठ जाने का दर्द अपनों को संभालने का दर्द अपनों को पालने का दर्द अपनों से कुछ छुपाने के दर्द दर्द वो दर्द जो रातों को जगाती हैं दर्द वो दर्द जो हमारी नींदें उड़ाती हैं दर्द वो दर्द जो दिन रात जलाती हैं क्या है है ये दर्द? हाथों से कुछ छूट जाने का दर्द अपनों के ही हाथों लूट जाने का दर्द कभी सर झुकाने का दर्द तो कभी उठाने का दर्द बीते हुए कल का दर्द तो आने वाले कल का दर्द अजीब है ये दर्द किसी के मुस्कुराने का दर्द किसी के हँसाने का दर्द मुशकिलों में फँस जाने का दर्द दर्द को दुहराने का दर्द घर उजर जाने का दर्द घर को बनाने का दर्द दर्द जो हर पल साथ होता है। #Winter