ये दो दिन की जिंदगी भी कितना रंग दिखाती है, कभी हंसाती है तो कभी रुलाती है, कभी ठुकराती है तो कभी अपनाती है। जो कभी अपना था वो पराया हो गया, जो पराया था वो अपना हो गया, इस अपना - पराया के बीच एक फरिश्ता जो जिंदगी संवार गया। ना जाने वो कौन था? क्या था? कहाँ से आया था? जो भी था, जैसा भी था मेरे लिए एक फरिश्ता था। माना कि जिंदगी कभी हंसाती है, तो कभी रुलाती है, पर धूल से ढकी चेहरा को आईना भी वही दिखाती है, ये जिंदगी ही तो है जनाब जो जिंदगी जीना सिखाती है। इस पराई-सी दुनियां में अपनों से मिलाती है, इस मरुस्थल-सी जिंदगी में आशा की बीज बो जाती है, ये जिंदगी ही तो है जो जिंदगी जीना सिखाती है। इस भाग-दौड़ की जिंदगी में भी लोग अपनों को नही भूलाती है, पर वही अपने जिंदगी भर रुलाती है, ये जिंदगी ही तो है जनाब जो जिंदगी जीना सिखाती है । - मालीग्राम यादव #evening