दिन बीता रात गयी हर पल हर लम्हा तुमसे मिलने की आस गयी न तो आँखों में कोई उम्मीद की डोरी न ही होंठो पर अब कभी मुस्कान रही कितनी बेबस है ये ज़िंदा रहने की जदोजहद एक सांस रुकी एक सांस गयी,,,,