तेरे गम के सहारे बैटे थे समुंदर किनारे l मछलियां लहरे लह रही थी जल के बहाने l समुंदर की बात हवा यो के साथ l मौसम का रंग इरादों के संग l तेरे बिना कुछ नहीं लिख पाया l सिर्फ ये सब सोच मै आया l अकेला चल रहा था कोरा कागज लिया l बस याद कर रहा था जो वादा तुमसे किया l हर वक्त तेरे बारेमे कहूं तेरे बारेमे लिखूं l कागज़ के हर पन्ने को तेरा नाम दू l गुमशुदा हसी को तेरे लिऐ तलाशुल l तू खुश रहे ऐसी हर इक चीज आजमाऊ l शायरी लिखने के लिये बैटा था कविता लिख दी l पढने वाले कहेगे शाहीर कवी बन गया l जिसके लिये गम के सहारे जिने लगा l उसके लिये आज कुछ नया लिखं दिया l #15