हमने सामने से बुलाना क्या छोड़ा, तुम खुद से फिर कभी आए ही नहीं, दिल तुमसे लगा बैठे थे पर, कभी साथ कुछ पल बिताए ही नहीं,, तुम्हारी खामोशी न इस इश्क को जाने कब नफ़रत में तब्दील कर दिया, प्यार तो बेइंतहा किया था तुमसे, पर तुम उस प्यार के लायक बन पाये ही नहीं!!