Nojoto: Largest Storytelling Platform

अपने हाथों के लिए पसीजना था, पर उसे कोई रोता नहीं

अपने हाथों के लिए पसीजना था,
पर उसे कोई रोता नहीं देखता,
उसकी आँखों को बाट जोहता नहीं देखता।
लोग बस घड़ी की टिक-टिक सुनते हैं,
जो बेपरवाह बढ़ा जा रहा है,
हर जड़ हर जीवित चला जा रहा है।
शायद वो बुजुर्ग तब तक खड़ा रहेगा
जब तक पर्वत और वक़्त चाहता है,
वो पता नहीं किस कमरे के
किस अंधेरे कोने में बौखता है, अलबलाता है,
पर वो हर बार टशन से सामने आता है,
लगता है कि उसने कल ही
कोई छोटी लड़ाई जीती हो,
जैसे उसके दिमाग में कोई गुप्त रणनीति हो। बुज़ुर्ग और पर्वत
अपने हाथों के लिए पसीजना था,
पर उसे कोई रोता नहीं देखता,
उसकी आँखों को बाट जोहता नहीं देखता।
लोग बस घड़ी की टिक-टिक सुनते हैं,
जो बेपरवाह बढ़ा जा रहा है,
हर जड़ हर जीवित चला जा रहा है।
शायद वो बुजुर्ग तब तक खड़ा रहेगा
जब तक पर्वत और वक़्त चाहता है,
वो पता नहीं किस कमरे के
किस अंधेरे कोने में बौखता है, अलबलाता है,
पर वो हर बार टशन से सामने आता है,
लगता है कि उसने कल ही
कोई छोटी लड़ाई जीती हो,
जैसे उसके दिमाग में कोई गुप्त रणनीति हो। बुज़ुर्ग और पर्वत