मैने सुनी है एक झूमती कविता उसके कानों के लटकते झुमकों से वो न जाने कब मेरे कानों में आकर गूंजने लगी और प्रेम हो गयी मुझे खबर भी न हुई kunwarsurendra मैने सुनी है एक झूमती कविता उसके कानों के लटकते झुमकों से वो न जाने कब मेरे कानों में आकर गूंजने लगी और प्रेम हो गयी