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(सैनिक) हर रोज कफ़न का चौला वो, माथे पर औढे़ बैठा

(सैनिक)

हर रोज कफ़न का चौला वो, माथे पर औढे़ बैठा हैं 
किसी को उसकी परवा़ह नहीं, वो परवा़ह में सबके बैठा हैं |

ना जाने कितनी ही गोलियां, हम सबकी रक्षा को सहता हैं 
कल तक जो सबका था, आज शहीद बनकर बैठा हैं |

माँ का आंचल छोड़ वो, माँ भारती को गले लगाता हैं 
अपनी रक्षा खुदा पर छोड़, दूर शरहद पर वो बैठा हैं |

माथे पर कोई शिकन नहीं, सांए में मौत के रहता हैं
प्राण गवाने को हर पर वो, खुशी से अपने बैठा हैं |

खुशी है उसके चेहरे पर, अपना फ़र्ज निभाया हैं 
अपने देश का मान वो, ऊँचा करके बैठा हैं |

by:-akshita jangid 
(poetess) senik #senik#poem
#nojoto#kalakaksh
#tst#pyar
(सैनिक)

हर रोज कफ़न का चौला वो, माथे पर औढे़ बैठा हैं 
किसी को उसकी परवा़ह नहीं, वो परवा़ह में सबके बैठा हैं |

ना जाने कितनी ही गोलियां, हम सबकी रक्षा को सहता हैं 
कल तक जो सबका था, आज शहीद बनकर बैठा हैं |

माँ का आंचल छोड़ वो, माँ भारती को गले लगाता हैं 
अपनी रक्षा खुदा पर छोड़, दूर शरहद पर वो बैठा हैं |

माथे पर कोई शिकन नहीं, सांए में मौत के रहता हैं
प्राण गवाने को हर पर वो, खुशी से अपने बैठा हैं |

खुशी है उसके चेहरे पर, अपना फ़र्ज निभाया हैं 
अपने देश का मान वो, ऊँचा करके बैठा हैं |

by:-akshita jangid 
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