कैसा रोग लगाया इसने, माने ना ये ज़िद्दी मन |
जीते जी मरवाया इसने, माने ना ये ज़िद्दी मन ||
इस रस्ते में भूल-भुलैया, आकर फँसी ज़िंदगी है,
क्या रस्ता बतलाया इसने, माने ना ये ज़िद्दी मन ||
रूह परिंदा फिर से आया, क़फ़स में इसके कहने से,
कैसा इसे फँसाया इसने, माने ना ये ज़िद्दी मन ||