जागा करते है,जिसे झांक कर वो घर तुम्हारा है। चाह कर भी जिसे छोड़ न सके वो शहर तुम्हारा है, रग रग में कुछ नशा सा है शायद वो ज़हर तुम्हारा है, बेजान होकर भी धड़कन है दिल में,हो न हो ये असर तुम्हारा है @©विनीत