मेरे शहर में ये सन्नाटा क्यों है यार इन गलियों में हर शख्स क्यों है लाचार वो चहल पहल कहाँ खो गयी किसने किया ये अत्याचार। वो चहक्ते चहरे मुरछित से क्यों नज़र आ रहे बताए तो कोई दिलदार। मेरे शहर में चहकती थीं जो चिड़ियाँ वो आज शोक सन्तपत क्यों दिखती हैं चिड़ियाँ। ये कोरोना का कहर हुआ है कैसा क्यों फैला है मेरे शहर में सन्नाटा ऐसा? ये सन्नाटा जो फैला है ऐसा, मेरे शहर के मजदूरों के पास नहीं है काम और न पैसा। मेरे आका तुने डहाया है ये कहर कैसा तुने क्यों कर दिया है हमें लाचार ऐसा। मेरे शहर में जो फैला है ये घौर सन्नाटा अब तो हर शख़्स दूर से कर रहा है टाटा। अपने अपनों से दूर हो गये हैं देखो मेरे शहर में लोग कोरोना से कितने मजबूर हो गया हैं। अब तो कुछ समझ नहीं आता औ मेरे दाता कोरोना फैलाएगा ऐसा सन्नाटा, ये तो आकाश भी समझ नहीं पाता। ~©️Ãâķãşh