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दुनिया की बातों में हम क़ैद हो के रह गए, रंग बांटते

दुनिया की बातों में हम क़ैद हो के रह गए,
रंग बांटते गए अपने आज हम सफ़ेद हो के रह गए,
चार-सू इश्क़-ए-आब था,
दिल दुखाया यूँ कि हम रेत हो के रह गए
दुनिया की बातों में हम क़ैद हो के रह गए।
दुनिया की बातों में हम क़ैद हो के रह गए,
रंग बांटते गए अपने आज हम सफ़ेद हो के रह गए,
चार-सू इश्क़-ए-आब था,
दिल दुखाया यूँ कि हम रेत हो के रह गए
दुनिया की बातों में हम क़ैद हो के रह गए।