एक आदमी एक झोपड़ा बनाता है, और बड़े प्यार से उसकी भीतरी दीवार पर एक औरत की तस्वीर और द्वार पर एक औरत का नाम सुनहरे अक्षरों में सजाता है। एक औरत एक नाम बनाती है, और थोड़ी सी असुविधा जान, नाम का एक हिस्सा व मांग के टेढ़ेपन में सिंदूर का किस्सा बड़ी हुनर से छिपा जाती है। औरत समझती है कि कड़े स्वर वाला पुरुष उसके सीने पर धरी शिला है, पुरुष अज्ञान में सोचता है कि मीठे स्वर में उसे जिंदगी में सबसे ईमानदार साथ मिला है। स्त्री एवं पुरुष