कबीर की जात कान्हा का कल हूं मैं, दर्द की किताब का एक ग़ज़ल हूं मैं। बेवजह बढ़ा रहे हो अपनी उलझन तुम, तुम्हारे उलझे सवालों का हल हूं मैं। #NojotoQuote